"अधूरे ख़्वाब, अधूरे सवाल"


क्यों रह जाती हैं ख्वाहिशें अधूरी?

क्यों रह जाते हैं कुछ ख़्वाब अधूरे? 

क्यों न पता होता इंतज़ार के अंत का?

 कहते हैं, मेहनत का फल मीठा होता है, पर क्या मेहनत का अंत नहीं होता क्या?


क्यों हैं बेहिसाब भाव इस दुनिया में?

 किसी को सब कुछ मिलता है, और कोई उम्मीद पर ही जीवन काटना पड़ जाता है।

 क्या इतनी निराशा हर आशा के लिए ज़रूरी है क्या?

 क्या इतना दुख जीवन के लिए ज़रूरी है क्या?


क्या सब कुछ न पाना ही ज़िंदगी जीने का तरीका है क्या?

 क्या अधूरे सवालों के साथ जीना ही ज़िंदगी है क्या?

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